Gourav Sharma

Gourav Sharma
खुद पे जब नाज हो तो फिर किसी और को ना हो तो भी चलेगा

Thursday 10 March 2016

Google वाले करोड़ों रुपए खर्च करके बिना ड्राइवर की कार का परीक्षण कर रहे हैं ..................
सलमान खान यह परीक्षण आज से 10 साल पहले केवल दो बोतल में कर चुके हैं.........!!!!!!!
#गोरु 

Friday 22 January 2016


बर्दास्त नहीं होता, दिल से हम दीवाने बहुत है
थाली में खाकर छेद करने वाले ,सयाने बहुत है
कहा जरुरत है चुल्लू भर पानी की मरने के लिए
शर्म हो जमाने में तो खुद की आँख का पानी बहुत है
क्यूँ बताते हो मजबूरियां जब छिपानी हो नाकामियाँ
मजबूरियों के सिवा भी जीने के बहाने बहुत है
मेरी तरफ यूँ ना देखना कभी जलन से ए मुसाफिर
‪#‎गौरु‬ की गजलों के यूँ ही अफसाने बहुत है

Monday 23 November 2015

CoNfiRm तत्काल टिकट कैसे बुक करें?

तत्काल टिकट कैसे बुक करें? हम जब कभी यात्रा की सोचते हैं और वह भी अचानक तब मन में यही बात खटकती है कि टिकट का क्या होगा?
अगर आप निम्न लिखित बातोँ पर ध्यान रखें तो आप खुद irctc.co.in की वेबसाइट से तत्काल टिकट निकाल सकते हैं। जी हाँ बिना किसी एजेंट की मदद के। 
  1. इस प्रक्रिया में सब से बेसिक लेकिन ज़रूरी है कि आप का i r c t c की साइट पर अपना अकाउंट हो। अकाउंट खोलने की जानकारी आप को यहाँ  सकती है। 
  2. ऑनलाइन पेमेंट के लिए पहले से मन बना लें कि किस अकाउंट से करना है। अगर आप के पास स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का है और इंटरनेट बैंकिंग भी है तो आई आर सी टी सी  के लिए two स्टेप वेरिफिकेशन हटा दें वर्ना पेमेंट प्रोसेस करने में इतना टाइम लग जायेगा कि साड़ी सीटें बुक हो चुकी हूँगी। 
  3. सब से महत्पूर्ण ! आप वेबसाइट ctrlq.org/irctc पर जा कर रिजर्वेशन के लिए भरा जानेवाला फॉर्म पहले से भर लें। यह आपका रेल रिजर्वेशन में लगने वाला समय कम कर देगा और आपको दूसरों से पहले टिकट मिलने का चांस बढ़ जायेगा। दाहने हाथ की फोटो उसी वेबसाइट की है। अगर फॉर्म भरने में कुछ समझ में न आये तो वीडियो वाला बटन क्लिक करें और डिटेल में पूरी प्रक्रिया को समझ लें। याद रखें कि इस वेबसाइट का रेलवे की वेबसाइट से कुछ भी लेना देना नहीं है। यह केवल एक सहायक मात्र है।
    मैजिक ऑटो फिल फॉर आई आर सी टी सी के नाम से जाना जाने वाला यह फॉर्म एक सटीक हथियार है। इस वेबसाइट पर दिया फॉर्म आपके गूगल क्रोम या मोज़िल्ला फायर फॉक्स या इंटरनेट एक्स्प्लोरर के बुकमार्क्स बार पे सेव
    होजायेगा।  
  4. अच्छा होगा कि रात 12:30 के बाद आप पूरी प्रक्रिया को सच में प्रैक्टिस कर लें ताकि सुबह 10 बजे आप हर तरह से तैयार रहें 
  5. इतना कुछ करने के बाद भी अगर आप टिकट नहीं निकाल पा रहे तो फिर एजेंट का सहारा लें। हमारा भारत अभी भी ऐसे चोरों से भरा पड़ा है जो हर सिस्टम की म** ब** एक करने में लगे हैं। करप्शन मुक्त भारत की प्रतीक्षा करें। 

Friday 20 November 2015

जमाना कितना बदल गया है सच में  जो केवल सुनने में आता था आज देख भी लिया
आज में आपको एक कहानी बताता हूँ जो हकीकत है
कहानी में पांच पात्र है
1. आरिस- उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है और वो 22 वर्ष का जवान लड़का एक उच्च कोटि की शैक्षणिक संस्थान में शिक्षण करवाता है,उसके चरित्र की सुन्दर कथाएं सर्वत्र विदित है, जहाँ लोग अपने कमजोरी को छिपाते हैं, इस बन्दे ने अपनी कमजोरी को ही ताकत बना लिया है, अपनी जरुरत के वक्त पर उसके पिताजी की कमी की सहानुभूति पाने का हक़ उसके पास है लेकिन उसके तुरंत बाद वह इस दुनिया का सबसे खूबसूरत इंसान है और सबसे अमीर भी
2 व 3 - वर्षित और अजयी - ऐसे इंसान जो दुनिया के पहले दम्पति है जिनके लिए अलग होना और साथ होना एक खेल है और कब वो लोग साथ होंगे और कब एक दूसरे से अलग,या  तो यह उनको पता है और या ही  भगवान को,
किसी दूसरे के सामने यह दुनिया की दुनिया की सबसे खूबसूरत है हंसमुख जोड़ी है, जिनका एक दूसरे के ऊपर एक अटूट विश्वास है जो जाने कितनी बार और पता नहीं किस किस की वजह से टुटा है
एक इस दुनिया का सबसे सच्चा और ईमानदार इंसान है जो अगर कट भी जाए तो भी झूट नहीं बोलता और ना ही कभी ऐसे इंसान का साथ देता है जो झूठा हो, तो दूसरा भी कम नहीं है
बस कमी यहीं रह गई की खुद और खुदवालों को बचाने के चक्कर में कब वो दोनों वो बन गए जो उनको लगता था की वो दोनों ऐसे लोगो के पास तक नहीं बैठते,
अब इसमें संगति कहें या मज़बूरी, जो भी हो अच्छा तो दोनों का दोनों में ही नहीं था
4-ल्याजी - एक ऐसा इंसान जिसको आप समझ भी नहीं सकते है की  यह गलत है या सही, यह हमेशा सच ही बोलता है लेकिन किसको और कितना मिलाके यह तो  या तो जब आपके पास बातें आती है तब पता चलता है या फिर जब आप अकेले में जब आप उसे सुन रहे होते है तब महसूस होता है
5-नमूना जी - इस कमीने को पहले तो यह नहीं पता की यकीं हर किसी पे सिर्फ फिल्मो में ही होता है और दूसरा ऐसा गरीब जो जिंदगी में पहली बार कमाने निकला था की उसे लगा की सारी दुनिया की कमाई उसे ही चाहिए और दिमाग का इतना मजबूत इंसान की खुद की गरीबी में भी अमीरी लगती है, फटी हुई चद्दर है उसके पास लेकिन केवल उसके किनारे साथ वालो में गर्मियों में इसलिए बाँट रहा था क्योंकि उसे लगता है की सर्दीयो में जब उसे जरुरत पड़ेगी तो वह इन्ही किनारों को फिर से जोड़ लेगा और सर्दियों में वह आराम से सो सकेगा , समझ में नहीं आया ,
कोई नही  साहब अब आएगा

एक अच्छी खासी जिंदगी जी रहे थे सारे खुश



Friday 23 October 2015


सर्दी के लिए म्हारी चार लाइन :-

आज तो भाईडा सी लाग्यो....
केंको लाग्यो ओ तो मन ही खाग्यो 
छींका बेजा जोर की आ री है 
छोरया बिना नहाया ही जा री है 
अरे यार म तो बिना सी क भी बीमार सो ही रेव्हू हूँ
जना ही थान एक बात केवु है
4 - 5 महिना न ‪#‎गोरु‬ को ब्याव है थोड़ो कम ही खाज्यो
सी पड है अमावस क बाद म पुन्यु न ही न्हाज्यो

Tuesday 15 September 2015

                                             सपने सुहाने लड़कपन के 

आजकल पता है मै थोडा सा बदल गया हूँ , हर दिन खुद से एक नया वादा करता हूँ , मेरे को उसके साथ ऐसे रहना है, मुझे उससे ऐसे बाते करनी है  मै कभी भी उसके साथ ऐसे नहीं करूँगा ,हर  वक्त उससे बाते करने को जी चाहता है, कभी कभी खुद को उससे थोड़ी सी जलन भी होती है, कभी कभी सोचता हूँ वो इतनी खुबसूरत क्यूँ है ,वो इन्सान जिसके बारे मे मुझे लगता है जितनी तारीफ करूँगा शायद कम ही होगी

पता है वो इतना खुबसूरत है की मै उससे जलता हूँ क्योंकि मै उतना ही बदसूरत हूँ जितनी की वो खुबसूरत या यूँ कहू की न्यूटन के नियम के अनुसार विपरीत दिशा में अनुक्रमानुपाती....

मै तो पागल इतना तक सोचने लग गया था की हे भगवान उसके चेहरे पे फुन्सिया हो जाए ताकि कम से कम मै उसके बराबर तक तो आ सकूँ ..........लेकिन बाद में पता लगा की ये सब मेरी पागलपंती के सिवा कुछ भी नहीं है
पता है  उससे जब भी मै बाते करता हूँ तो मुझे थोडा डर सा लगता है की उसे कहीं कुछ भी बुरा नहीं लग जाये, लेकिन आज तक कभी उसे नहीं  लगा इससे अच्छा मेरे लिए कुछ  भी नही हो सकता,

वैसे तो मै इतना सीरियस रहता हूँ की लोगो को लगता है की मै किताबी कीड़ा हूँ , और लगता क्या है मै तो हूँ ही लेकिन पता नहीं क्यूँ मेने उसे इतना हंसाने की कोशिश की है और इतने जोक्स सुनाये है, राम ही जाने  
हर वक्त उसके सपने सपने लेता रहता हूँ एक बार तो मुझे सपना आया की उसकी विदाई है और अचानक से मुझे गले लगाकर रो पड़ी और सारे लोग हंसने लग गए

एक दिन तो हद ही हो गई मुझे लगा की सात फेरे खा रहे है की मेने उसके कान में धीरे से बोल दिया " छिपकली"
और वो है की बिना देखे ही चिल्लाने लग गई......

वो जब भी मेरे साथ बाइक पर बैठती है तो मै इसलिए गाडी धीरे चलाता हूँ की कही उसे डर नहीं लगे,
वो जब भी मेरे यहाँ आती है तो मै उसके सामने आने से डरता हूँ लेकिन उसे चुपके से देखना भी चाहता हूँ,
दिल की सारी बाते उससे करना चाहता हूँ , जो नहीं कर पाता वो भी उससे कह देता हूँ लेकिन वो तो मुझे बाद में पता लगता है की ये बाते तो मै खुद से ही कर रहा हूँ वो तो यहाँ है ही नहीं फिर हंसी आती है खुद पर भी और जो हो रहा है उस पर भी ...........


                     मुझे या तो बदलना है या बदल जाना है 

दोस्तों इतना बड़ा आर्टिकल लिखने का मेरा मकसद मेरी लेखन शेली से परिचित कराना और उससे अपने आपको महान साबित करना  नहीं है और ना ही मै ये चाहता हूँ की हरकोई इसे पढ़े और मेरे विचारो को समझने से  ज्यादा मुझे समझने में लग जाये

और मुझे कोई  महान आत्मा समझ कर सारी दुनिया को ही हिला कर रख देने की प्रेरणा लेले 
तो मै आपको इतना सा बता दूँ की मै लोसल के एक छोटे से इलाके मे रह रहा हूँ और हमेशा से ही मुझे एक साधारण सी जिन्दगी जीनी है ना तो कोई क्रन्तिकारी बनना है और नाही इस समाज को ये बताना है की तुम ये क्यूँ कर रहे हो और तुम्हे ये करना चाहिए और ये नहीं.
मुझे किताबो से ही सब कुछ सिखने को मिला और मै हमेशा से ही ओसत से निचे कभी नहीं आया चाहे हमेशा टॉप नहीं किया हो लेकिन हमेशा टॉप से निचे आने के बारे में भी नहीं सोचा, सुमित्रा में पढ़कर ये तो पता मुझे कभी का ही लग गया था की लोग जो कहते है वो अक्सर करते नहीं है और आज तो आप किसी की शक्ल को देखकर भी ये नहीं बता सकते की आप के सामने वाला कोई चोर है या इमानदार

              दोस्तों अगर वक्त हो तो एक बार बस सोच लेना,

ये अलग बात है की जब में 10वी में था तब से ही लिख रहा हूँ लेकिन कल जो मुझे गुस्सा वो शायद कभी ही आया होगा 



कल इसी लोसल बस स्टैंड पे एक शक्श मुझे यह कह रहा था की “यार इस बच्ची के साथ अच्छा नहीं किया और केवल 10 ही मिनट के बाद वो शक्श 2 लडकियों को देखकर ये बोलने लग गया की क्या मस्त लग री है यार“
फिर कैसे बदल सकता है ये जहाँ


तो फिर सोचिये मै उन लोगो को कैसे समझा सकता हूँ की भाई तू गलत है और तुझे यह नहीं करना चाहिए, समाज में अगर कुछ गलत हो रहा है तो वो तब तक चुप बैठे रहेंगे जब तक उनको कोई नुकसान नहीं पहुंचा दे लेकिन जब कोई उनको नुकसान पहुंचाता है तो फिर वो आवाज उठाते है लेकिन कोई उनके साथ नहीं होता क्यूंकि फिर दुसरो के साथ भी तो वोही तो होता है वे भी तो तब तक आवाज नहीं उठाएंगे जब तक कोई उनका कोई कुछ नहीं उखाड़ ले


सारा सब कुछ एक चक्र में चलता रहता है और वो कहते रहते है की जमाना ख़राब है, ये सब कुछ कोई सोचे तो सही की क्यों हो रहा और कर कौन रहा है


कल सीकर में जो ज्यादती की घटना हुई क्या कोई सोच सकता है की कोई एक मासूम सी बच्ची के साथ ऐसा कैसे कर सकता है, क्या उसे जरा भी दया नहीं आई, लोग कहते है की बलात्कार के मामले इसलिए बढ़ रहे है क्यूंकि लड़कियां छोटे कपडे पहन रही है लेकिन उस बच्ची के साथ तो ऐसा कुछ नहीं था ना,

शर्म नहीं आती क्या उन्हें जिन्होंने एसा कुछ भी किया है उसे तो कहाँ तो जीने का अधिकार है कहाँ मरने का........

बची खुची कसर पूरी कर दी उन लोगो ने जिन्होंने सीकर बंद करके उस मासूम के साथ होने की कोशिश की ,
अरे! सीकर बंद करके अगर उसके साथ होना चाहते हो तो उस वक्त कहाँ थे 
जब पूरा सीकर वहीँ का वहीँ था और ये सब कुछ उसी सीकर में हुआ था, वो ये सब करने वाला भी तो सीकर का ही होगा, क्यों नहीं तुम लोगो ने ही उसे पकड़ कर उसे इतना तडपाया होता की उसे भी पता चल जाता जो दर्द उस मामूम को हुआ है

उन लोगो में से कुछ भाग वो भी था जो उस वक्त तो जोर शोर से चिल्ला रहा था लेकिन जैसे ही बाहर निकला अपनी ओकात पे आने वाला था और शहर के बाहर सड़क पे जा रही लड़की को देख कर उसका पीछा कर रहा था या फिर उसके उपर ऐसे शुद्ध वचनों का बखान कर रहा था जो अगर कोई उसकी बहन के लिए कहे तो शयद उस शक्श को जिन्दा न रहने दे ,

वो लोग जो कल सीकर बंद कर आगे आकर फोटो निकलवा रहे थे वो लोग येही के तो है, किसी ने उस वक्त पुलिस की 12 क्यूँ नहीं बजायी जब वो गलत चालान काट रहा था और तुम लोगो ने सिर्फ 100 का नोट देकर निकल जाने की ख़ुशी में 500 की शराब पी थी

जब तुम लोगो ने रिश्वत को ही सब कुछ मानकर डॉक्टर से नकली विकलांग प्रमाण पत्र बनवाया था, जब डॉक्टर बाहर की दवाई लिख रहा था और तुम लोग चुप चाप चले गए,

जब कोई पुलिस वाला बिना किराया दिए बसों में सफर करता है और तुम लोग उसे साब कहते हो, जब कोई डॉक्टर केवल इस बात के लिए चक्कर कटवाता है की उसकी नियत में कंकर होते है

जब कोई आपसे अतिरिक्त पैसे चार्ज करता है और आप लोग उसे ये कहते है की साब पैसे कितने भी लग जाये लेकिन काम हो जान चाहिए बल्कि बिना उससे ये पूछे की रशीद इतने की ही है तो फिर ये चार्ज क्यों?

और कल है की इसी में जीने वाला हर एक बंदा खुद को क्रांतिकारी मानकर सब्जी वाले की सब्जियां गिरा रहा था,
कल बाज़ार बंद करने वालो‬ ने ये क्यूँ प्लान नहीं बनाया की हम आज की कमाई हम उस मासूम के इलाज के लिए देंगे ताकि उसका इलाज सही से हो सके, ये अख़बार में जो उस मासूम को लाया जा रहा है वो केवल 4 – 5 दिन के लिए ही है उसके बाद न तो प्रशासन उसे पूछने वाला है और ना ही वो लोग जो आज क्रांतिकारी बने तथाकथित तोर पर उसके साथ खड़े है 
कल जो सीकर को बाज़ार में करोडो का नुकसान हुआ है उसकी भरपाई तो नहीं हो पायेगी लेकिन  उस कमाई का अगर आधा भाग भी उस बच्ची को मिल जाता तो शायद उसकी परवाह सही से हो पाती
ये तो मान कर चलिए दोस्तों ये अखबारों की सुर्खिया इतनी जल्दी भुलाई जाती है जितनी शायद जल्दी नमक भी पानी में नहीं मिलता क्योंकि अपने देश में मीडिया एक शसक्त माध्यम बन गया जो कुछ भी कर सकता है


उदाहरण जानना चाहते हो तो आपको पता है दिल्ली में कुछ वक्त पहले पूरा देश एक हुआ था आज उसके घरवाले किस हालत में है कोई नहीं जानता, अभी कुछ वक्त पहले सीकर में भी एक और पीडिता सुर्खियों में आई थी लेकिन आज उसके माली हालत के बारे में पूछने की हिम्मत किसी में भी नहीं है क्यों की फिर से एक नया मुद्दा मिला जाता है कभी भंवरी देवी तो कभी आनंदपाल तो कभी इन्द्राणी और तो कभी कोई भ्रष्टाचार:-

 मीडिया‬ जैसे सशक्त माद्यम के होते हुए भी आज भ्रष्टाचार इतना बढ़ा है की बढ़ने में भी शायद हाथ इसी का दिखाई दे रहा है, कही किसी को ये तक पता नहीं लग पाता की हम किसी को शिकायत करे तो भी किसको?

और जब किसी को शिकायत कर ही नहीं सकते तो फिर एक ही तरीका बचता है की अपने क्या लगेगा चल ही तो रहा है अपना काम तो हो ही रहा है..........
लेता किसी का कुछ भी नहीं है दोस्तों एक दिन आएगा जब आप के साथ अगर कुछ गलत हो रहा हो और दुसरे ये सोच रहे हो की मेरा क्या ले रहा है तो अपना सारा दर्द सामने आ जाता है और सारी ज़माने की कमियां भी सामने आ ही जाती है


मुझे तो रात भर नींद नहीं आई सारी रात येही सोचता रहा की ये लोग कब बदलेंगे लेकिन फिर सोचा “गौरव” ये लोग बदलेंगे भी तो क्यों, मुझे तो सुरुआत भी लोसल से करनी चाहिए सीकर तो दूर की बात है:-
दोस्तों किसी को तो आगे आना ही होगा, खुद को बदलो इन मासूमो को जीने दो इतना महफूज करवा दो उनको की कम से कम वो आइटम की श्रेणी से तो बहार आ सके वो बच्चिया तो जीवन जीने की आश ले सके जींनहे अभी जिन्दगी जीनी है जो ढंग से अभी बड़ी भी नहीं हुई है, उनकी तोतली जुबान से अभी तक शब्द भी बाहर आने सही से शुरू नहीं हुए :-

                                                                  बस आखिर में २ ही पंक्तिया की-

‪#‎गौरु‬ तो जिन्दा था अपनी कलम की ताकत पे,
आज वो ही तो ख़ुदकुशी की बात कर रही है
लोग साथ है सडको पे ,मासूम मोत के आगोश में,
हकिकत में तो अखबारों में सुर्खिया बन रही है


                                               देखते है की ये कितने दिन की ‪#‎सुर्खिया‬ बची है

Sunday 16 August 2015


जिन्दगी का पहला #चालान जिसने मेरी सोच और जिंदगी दोनों बदल दी 

पुलिस जिसका नाम पता नहीं क्यू भूत से भी डरावना लगता था, वो आज मुझे भी लगा, चाहे मुझे इसके लिए फांसी ही क्यूँ न हो जाये और मुझे तो अब पता भी चल गया है की मै किसके खिलाफ बोल रहा हूँ लेकिन किसी को तो बोलना पड़ेगा ....
कल लोसल में चुनाव है और आज पुलिस गस्त पर थी, सामने पुलिस की गाडी खड़ी थी, मेरी बुआ की तबियत ख़राब थी तो मुझे जल्दी थी और मैंने सर को बोल दिया " सर प्लीज "
पुलिस सर साइड में हो गए लेकिन पता नहीं क्यूँ उन्हें क्या हुआ की जैसे ही चलने लगा उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया, और चेहरे से रुमाल निकालकर फेंक दी
मै कुछ समझू उससे पहले ही चाबी निकाल ली, और कागज़ मांगे मेरे पास कागज पुरे नहीं थे तो उन्होंने गाडी थाने भेज दी, मेरे रिक्वेस्ट करने के बाद भी उन्होंने हॉस्पिटल जाने के लिए भी गाडी नहीं छोड़ी, इतनी बेरहम कैसे कोई हो सकता है

ऐसा नहीं है की मै गलत नहीं था की मेरे पास तीन सवारी थी लेकिन अगर कोई बीमार है तो शायद वो अकेला तो नहीं आएगा ना.....

खेर यहाँ तक तो ठीक है लेकिन आगे देखिये मै थाने गया सारे कागजात लेके और उनके सामने रख दिए सामने से जवाब आया जिन्होंने गाडी पकड़ी है वो ही छोड़ेंगे.2 घंटा वेट किया लेकिन मुझे यह पता नहीं चला की वो है कोन..........

यहाँ तक तो फिर भी ठीक है उन्होंने मुझे कहा की तुझे 600 रुपये का चालान भरना पड़ेगा जबकि मैंने सारे कागजात उन्हें दिखा दिए पहले ज़ेरोक्स और फिर ओरिजिनल, मैंने तो जयपुर में भी किसी से इतना बड़ा चालान किसी बाइक वाले से भरा हुआ नहीं सुना था, मैंने बस इतना कहा की SHO, सर को आ जाने दो उनसे पूछ के बताऊंगा तो जो जवाब मिला वो पुलिस की #कर्मठता और #कर्तव्यनिष्ठता की सीमा का सर्वोच्च उदाहरण हो सकता है " मैंने जो लिख दिया उसे किसी का बाप भी नहीं बदल सकता चाहे जो करले, हमारा लिखा हुआ तो जज भी नहीं बदलवा सकता है" इससे मुझे ये तो पता चल गया की लोग ये क्यूँ कहते है की 

#पुलिस_वाले_किसी_के_बाप_के_नहीं_होते
या की ना #पुलिस_की_दोस्ती_अच्छी_ना_दुश्मनी

वहां पर लिखा स्लोगन भी मुझे #अपराधियों_की_सुरक्षा_आमजन_में_डर नजर आ रहा था
कैसे मै अगर मेरे साथ कभी कुछ गलत भी हुआ तो अपनी सुरक्षा के लिए कभी पुलिस थाने में जा पाउँगा, मै वहा पर कैसे अपने साथ न्याय की भीख मांग सकते है,
सर तो कभी भी नाराज हो सकते है अगर आपने सर सड़क के बीच खड़े हो और आपने सर से इज्जत के साथ साइड मांग ली हो, या फिर आप सर को सर ही क्यूँ कह रहे हैं...
काश सर अपने साथ उन अपराधो की सूचि भी साथ में लेकर चले जो कानून में नहीं है लेकिन पुलिस की वर्दी के कानून में है, कानून से आप चाहे निरपराध साबित हो जाएँ लेकिन पुलिस जिसका अपना अपना कानून है से आप मुजरिम ही साबित होंगे जब तक उनका मूड नहीं हो की आपको कब बहार करना है और कब अन्दर
उस सूचि के साथ में होने से हमें ये तो पता चले की हमारा अपराध इतने रुपये का है और हमें इतने की व्यवस्था करनी होगी .....................
मुझे लगता है येही एक एसा विभाग है जहाँ आज भी लोकतंत्र केवल नाम से है और भावनाएं शून्य.
काश आज मेरे पास 100 रुपये होते तो मोदीजी के #भ्रष्टाचार_मुक्त_भारत में सहयोग कर अपनी बाइक छुडवा पाता....
काश एसा कोई सिस्टम हो जिसके पास आज जो कुछ भी हुआ उसकी शिकायत उससे कर सकता लेकिन आज आम आदमी तो केवल #मजाक है ....
मै तो उन सर से एक ही बात कहना चाहता हूँ
बस कुछ दिन और मुझे कुछ बड़ा बनने दो फिर मिलते है संवेदनाओ के साथ कुछ अच्छा करने के लिए
जनता की सेवा के लिए ना की अपना #रॉब दिखाने के लिए ............
शायद इससे सीधी और कर्तव्यपारायण पुलिस किसी भी मुल्क की नहीं  होगी
मेरे तो दिल से 2 पंक्तिया निकली है

#मेरे_देश_की_पुलिस_अब_तो_मेरे_दिल_में_रहती_है,
#मना_नहीं_करती_कुछ_भी_दो_सब_कुछ_रख_लेती_है

Thursday 13 August 2015

हर किसी के पास एक दिल और एक दिमाग होता है और ये शायद हर किसी को पता होगा और अगर नहीं है तो उसके पास इन दोनों मै से एक है ही नहीं मेरे दिमाग और दिल में जो कुछ भी चलता रहता है उसे मै चाहता हूँ की सारा जहाँ जाने ....वो जाने की मै क्या कह रहा हूँ न की ये की मै क्यों कह रहा हूँ

तो चलो कह ही देता हूँ बहुत घुमाया आपको यहाँ और वहाँ

मेरी जिन्दगी का सबसे खास लम्हा 


वैसे तो मै हमेशा से ही एक ठीक ठाक डांसर था लेकिन कभी कभी ज्यादा ठीक ठाक होना भी तो अच्छा नहीं होता ना ......हुआ यूँ की मेरे बड़ी दूर के ननिहाल में (ऐसा इसलिए की हमारे गाँवो में किसी को माँ बनाना और किसी न किसी को शादी के बाद में माएके के रिश्ते बनाने पड़ते है, वैसे ही मेरी मम्माँ के ऐसे ही मायके में) बहन की शादी थी और मुझे उस में डांस करना था.....

मै अच्छा खासा डांस कर रहा था की दीदी ने शर्त रख दी अगर मैंने लड़की की ड्रेस में डांस कर दिया तो कभी भी किसी काम के लिए मन नहीं करेगी और नहीं किया तो कभी बात नहीं करेगी..............

मै मुश्किल में फंस गया लेकिन मुझे वैसे कमर हिलानी काफी अच्छी आती थी तो मैंने क्या है हिला थी वो भी ओरतो के कपडे पहन के .....पतला तो हु ही किसी को पता तक नहीं चला और दीदी ने कपडे भी काफी अच्छी तरह से पहनाये थे तो ...

मेरे क्या है डांस किया और दीदी की गोद में आकर सो गया लेकिन मैंने इक बहुत बड़ी गलती की , मैंने कपडे अभी भी वो ही पहने हुए थे ...

कुछ टाइम हुआ की एक दादीजी अन्दर आये और जोर से चिल्लाये तो मैंने सोचा अब तो बारह बजी........भाई मैंने जल्दी से घूँघट निकाल लिया............

वो आये और सब ओर देखा और फिर जोर से मेरा हाथ पकड़ा और बाहर ले गए फिर बोला "तुझे डॉक्टर ने मन किया है ना फिर तु नाची क्यों, उसको बोलने दे तुझे मायके छोड़ के आ जाये कही कुछ हो गया तो फिर नाम हमारा ही आएगा की हमने परवरिश सही नहीं की....

मै कुछ बोल नहीं पाया क्यूंकि गर बोला तो पोल खुली........मै तो मारा गया बुरी तरह
इत्ते में एक और दादीजी आये और उन्होंने पूछा " क्यू डांट रही है बेचारी को"

तभी जवाब मिला " अरे ये परमानेंट है अगर कुछ हो गया तो ऐसे टाइम में कोई नाचते गाते थोड़े ही न है....

भाई मेरी तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था और मै था की रोने लग गया और दीदी और सारी हंसने....
बाद मै पता चला की उनकी बहु भी एसी ही है और वो प्रेगनेन्ट है...................

आज भी मुझे दीदी और सारे चिड़ाते है, जब भी वहाँ जाता हूँ तो पूछते है गौरव तो परमानेंट है और सारे हंस पड़ते है ..............................
बेचारा हाहाहाहाहाहाहाहाहा


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Tuesday 11 August 2015

हर दम मुझे कुछ नया करने की चाहत थी और आज भी है .........ऐसा नहीं है की मै बहुत बड़ा आदमी हूँ, लेकिन जो भी है कुछ बड़ा करने का इक जूनून कल भी था और आज भी है!

मै आज आपको मेरी कहानी बता रहा हूँ

मै एक छोटे से गाँव का रहने वाला एक पागल सा लड़का हूँ जिसका नाम है.......गौरव शर्मा
वैसे तो आज किसी से भी पुछ लो...हर किसी ने इतने संघर्ष किये होते है की हर कोई आजकल ज्ञान का भंडार रखता है की कैसे उसने यह किया और कैसे वो किया..........

मेरा मकसद आपको पकाना नहीं है और ना ही मुझे फालतू की बाते सुना सुना कर बोर करना है 
मेरी 1 प्रॉब्लम है...मैंने आज तक अपनी सीक्रेट बाते किसी को नहीं बताई ...डर जो लगता था और हाँ बताता भी किसको ना कोई फ्रेंड और ना ही कोई बेस्ट फ्रेंड ...

तो मैंने सोचा की क्यू ना जब किसी को नहीं बताने से कुछ ना हुआ तो फिर सब को ही क्यों ना बताई जाये ....

कुछ चीजे जो मुझे आज भी लगता है की केवल मेरे ही साथ हुई ...हाँ कभी कभी ये जरुर लगता था की यार इस दुनिया में मै ही तो कोई अकेला नहीं हूँ
लेकिन फिर लगता है की नहीं यार कुछ तो अलग है मुझमे.......

येही सारी बातें और बहुत सारी करनी है अभी तो मेरा बचपन ही शुरू नहीं हुआ और वो तो अब मै जवान 20 साल का लड़का भी हो गया हूँ

बहुत सी बाते करनी है आपसे............कुछ हसाएंगी......कुछ रुलायेंगी......तो कुछ पर मेरी मासूमियत ही आपको अपनी और खिंच लायेंगी
आपको भी शायद लगे की यार शायद ये तो मेरे साथ भी हुआ था...

बिना हवाई बातो के केवल खुद से जुडी मेरे पास तो इतनी बाते है की कभी कभी तो मै यह सोचता हूँ यार ये लोगो को दुसरो की बातें करने के लिए फुर्सत कहाँ से मिल जाती है.........................

ओर्र्र हाँ मै तो बताना ही भूल गया आज तक मै लोगो को अपनी ही कहानियां सुनाकर हँसता आया हूँ लेकिन एक समस्या है

आप के पास दो विकल्प है या तो आप खुद ही मेरी तारीफ कर दे नहीं तो फिर मै खुद कर लूँगा    इससे क्या है ना की कॉन्फिडेंसन आता है

हाहाहाहाहाहाहाहाहा
मिलते है फिर
नयी बातो के साथ ........


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